Thursday, 16 October 2025

संसार

वह कोमल पर मजबूत 
वह कठोर पर कमजोर
दिखता कुछ है कुछ 
प्रकृति की बनावट ही ऐसी है 
असमानता है 
साथ भी रहना है 
बहुत फर्क 
निभाना फिर भी है 
यही तो संसार है 

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