बीते दिनों रिक्शा में पहले कौन बैठेगा ,जैसे सामान्य कारणों से अफ्रीकी युवक की हत्या
रंगभेद ,वर्ण भेद ,जातिभेद ,धर्म भेद से हर इंसान जकडा हुआ है
चाहे वह कितना भी पढा- लिखा हो या अनपढ
आए दिन टेलीविजन पर गोरे होने की क्रीम का विज्ञापन दिखाया जाता है
मेट्रोमोनियल कॉलम में भी गोरी की मॉग होती है
हम इक्कसवीं सदी में जी रहे हैं
सारी दुनियॉ इसी भावना से ग्रस्त है कि
तेरी साडी से मेरी साडी ज्यादा सफेद क्यों ?????
आज अगर हमारे नौजवानों पर विदेश में रहने वालों के साथ ऐसी कोई घटना होती है तो हमें दुख होता है
तो हमारा भी कर्तव्य बनता है कि हमारे देश में किसी विदेशी के साथ ऐसा न हो
अतिथि देवो भव - की पंरपंरा वाले देश में ऐसी घटना शर्मनाक ही कही जाएगी
महात्मा गॉधी और नेल्सन मंडेला
दोनों ने लंबे समय तक यह लडाई लडी है
मेरा भारत महान की भावना भी महान होनी चाहिए
हमतो भाषावाद ,प्रांतवाद ,जातिवाद ,धर्म वाद से अभी मुक्त नहीं हो पाए हैं
पर इंसानियत तो बाकी है
रंग के कारण ,नैन नक्श के कारण हिंसा - मारपीट और हत्या यह शोभा नहीं देता
सरकार ऐसे लोगों पर कडी से कडी कारवाई करें और हमारे अतिथियों की सुरक्षा पर निगरानी रखे
अन्यथा विदेशों से भी हमारे संबंध खराब हो जाएगे
हमारे प्रधानमंत्री जी जो संबंध बनाने की कोशिश कर रहे हैं
उस पर कहीं पानी न फिर जाय
हर नागरिक स्वंय को बदले और विशाल दृष्टिकोण रखे
सारा विश्व ही हमारा परिवार है
भारत की इस नायाब विचार को लज्जित न करें
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Thursday, 2 June 2016
रंग भेद कब तक?????
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