Sunday, 19 June 2022

हमारे बाबूजी

हम तुम्हें कैसे भूल पाएंगे 
आप तो जन्मदाता हैं हमारे
हमारे रग - रग में बसे हैं 
आपका ही खून हमारे रगों में दौड़ रहा है
आपसे अलग होकर तो हम कुछ भी नहीं हैं 
ईश्वर ने हमको इस पृथ्वी पर भेजा है
पालन - पोषण तो आपने किया है
पढाया - लिखाया और जीने योग्य बनाया है
सबसे बडी देन कि आपने हमें अच्छा इंसान बनाया है
बुराइयों से दूर रखा है
ईमानदारी और कर्मठता का पाठ पढाया है
सादगी के साथ जीना सिखाया है
शिक्षा को सर्वोपरि दर्जा,  यह तो आपसे ही सीखा है
भगवद गीता को पढने वाले
हम तो आप को ही देख देख कर बडे हुए हैं 
तभी तो लालच से दूर रहें 
सत्य के राह पर चल रहे हैं 
दूसरों को नीचा दिखाने की प्रवृत्ति नहीं रही है
जो है उसी में समाधानी 
एक वाक्य जो उनका आज तक जेहन में गूंज रहा है
मैंने किसी को जिंदगी में धोखा नहीं दिया है
धोखा खाया है पर दिया नहीं 
यानि कोई जाने या न जाने 
अगर आप गलत कर रहे हैं तो आपका मन कहीं नहीं गया है
वह आपका सब कच्चा चिट्ठा जानता है
ऊपरवाले से बचकर कहाँ कोई जाएंगा
दूसरी बात उनकी
डार्विन की थ्योरी 
Survival of the fittest 

शक्तिशाली को ही जीवित रहने का अधिकार है
दुनिया कमजोर को शांति से  जीने नहीं देती 
चाहे वह आपके अपने ही हो , रिश्तेदार हो
समर्थ तो होना ही पडेगा
शिक्षा से संपत्ति से योग्यता से

तीसरी बात 
प्रेम सबसे करो विश्वास किसी का नहीं 
क्योंकि विश्वासु व्यक्ति ही विश्वास घात करता है
दुश्मन से तो सब सतर्क रहते हैं दोस्त से नहीं 

ऐसे न जाने हर रोज हमने अपने बाबूजी से क्या - क्या सीखा है
वह अमल करने की कोशिश भी करते हैं 
बाबूजी आपके बारे में  क्या-क्या कहें 
यह जीवन छोटा पड जाएगा 
बस आपके दिखाएं राह पर चले वही काफी है 

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