प्रशंसा कितना सुखद शब्द
किसी की प्रशंसा तो करके देखिए
उसके चेहरे की मुस्कान
उसकी खिली हुई बॉछे
आपके लिए उसके मन में आदर
हर व्यक्ति अपने काम की तारीफ का भूखा
वह और कुछ नहीं दो शब्द ही तो चाहता है
और चाहे भी क्यों न??
उसके कार्य की सराहना होनी ही चाहिए
उत्साह आ जाएगा
पर संसार में प्रशंसा मुश्किल से मिलती है
आलोचना करने वाले ढूढ- ढूढ कर निकालेंगे
सामने नहीं तो पीठ पीछे कहेंगे
पर कहेंगे जरूर
ईष्या और जलन चेहरे पर दिखाई देगी
कुछ ऐसा कह जाएगे
कि आपके चेहरे की मुस्कान काफूर हो जाएगी
और तो और उसके वाक्य भी परेशान करते रहेगे
किसी को मानसिक पीडा देना और खिल्ली उडाना
यह उनकी आदतों में शुमार है
अस्पताल में ही नहीं ऐसे मानसिक रोगी समाज में भी और आसपास घूमते हैं
यह भी एक प्रकार के अपराधी है
प्रशंसा नहीं कर सकते तो बुराई तो मत कीजिए
पर यह कहॉ माननेवाले हैं
न इनसे उलझ सकते हैं
न समझा सकते हैं
ऐसे लोग से दूर ही रहा जाय तो अच्छा है
फालतू लोगों के साथ रहने और अपना दिमाग खराब करने से अच्छा है
अकेले रहना
इनसे दूरी बना कर रखना
यह और कुछ तो नहीं करेंगे
आपके मनोबल को जरूर नीचे गिरा देंगे
किसी के बारे में बहुत ही सोच- समझ कर बोले
बिना जाने अपनी राय मत दे
आप इंसान है इंसानियत को अपनाइए
दो मीठे बोल ,बोल कर हदय जीतिए
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Tuesday, 13 June 2017
प्रशंसा करके तो देखिए
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