मैं यहॉ बैठी सोच रही
क्या कुछ नहीं बदल गया
वह संघर्षमय अतीत
वह जीवन की आपाधापी
वह पाई- पाई जोडना
गृहस्थी में काटकसोर करना
तिनके- तिनके को जोड आशियना बनाना
आज समय ने करवट ली है
सब कुछ है ईश्वर तेरी कृपा से
कष्ट भी आए मुसीबत भी आई
पर तुझ पर से आस न टूटी
इस पहाड जैसे हर मुसीबत का सामना किया
हर थपेडो को बर्दाश्त किया
तभी तो आज हरियाली आई है
मौसम खुशगंवार हुआ है
घर और बगिया महक रही है
सब फलफूल रहे हैं
यादों में खोई मैं सोच रही
क्या कुछ नहीं बदल गया
कभी पैदल चली थी
आज हवाई जहाज से यात्रा कर रही हूँ
हिल स्टेशन की सैर कर रही हूँ
ए ़सी की हवा खा रही हूँ
वातानुकुलित गाडी में प्रवास कर रही हूँ
पहाड जैसा जीवन आसानी से कट गया
सब कुछ बदल गया
पर तेरी भक्ति नहीं बदली
वह और आगे बढी
तेरे ही नाम से सोना और तेरे ही नाम से जागना
हर पल तेरे नाम का ही स्मरण करती रहूं
और अपना तथा अपने परिवार का जीवन सार्थक करती रहूं
Hindi Kavita, Kavita, Poem, Poems in Hindi, Hindi Articles, Latest News, News Articles in Hindi, poems,hindi poems,hindi likhavat,hindi kavita,hindi hasya kavita,hindi sher,chunav,politics,political vyangya,hindi blogs,hindi kavita blog
Wednesday, 14 June 2017
क्या कुछ नहीं बदल गया
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment