एक समय था कि दलित को हेय नजर से देखा जाता
आज परिस्थिति बदली है
वह पहले जैसा नहीं रहा
वह जागरूक है
अब वह किसी के झांसे मे नहीं आने वाला
उनके घर खाना खाकर नेता उन पर.एहसान जता रहे
या अपना लाभ देख रहे
दलित अब वह अछूत नहीं रहा
राम ने शबरी के जूठे बेर खाए थे
यह लोग अपना इंतजाम करके जाते है
दिखावा करने
उसे अभी भी नीचा और अछूत समझ रहे हैं
ठाकुर के घर पर खाना खाने का तो.ढिंढोरा नहीं पीटा जाता
फिर इनका क्यों ???
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Saturday, 5 May 2018
दलित और भोजन
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