Saturday, 9 June 2018

जब मेघ बरसते

जब मेघ बरसते
बादल उमड़ -घुमड़ कर आते
आँखे भी आंसुओं से भर जाती
मन मे अतीत घूमता
विचार उमडऩे
सब याद हो आता
यही सालों साल होता रहा
यह सिलसिला चलता रहा
हासिल क्या हुआ
दुख के सिवाय कुछ नहीं
सुख का स्वाद भी फीका
ऐसा क्यों होता है
हम क्यों भूल नहीं पाते
जो मिला है उसमें खुश क्यों नहीं हो पाते
ईश्वर की कृपा मिली है
उसका आंनद क्यों नहीं ले पाते

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