एक बीज पडा मिट्टी में
बारिश हुई अंकुर फूटे
ची ची करती आई चिडिया
चोच मारने जा ही रही
अंकुर बोल उठा - मुझे मत खाओ
बडा होने दो ,तब खाना
चिडिया चड गई
पौधा बडा हुआ कुछ
बकरी आई ललचाती
फिर वही बात कही पौधे ने
बकरी कुछ सोची और चली गयी
और बडा हुआ
एक व्यक्ति को पसंद आया
उखाडने वाला ही था
पौधे ने फिर वही बात दोहराई
वह भी चला गया
दिन -महीने बीते
सब वापस आए उसी जगह
भरी दोपहरी थी
एक बडा छायादार पेड दिखा
सुस्ताने लगे
सोचने लगे
वह पौधा कहाँ गया
यही तो था
पेड मुस्करा उठा
हिल-हिलकर हिलकोरे ले
कह उठा
मै वही हूँ बीज ,कोंपल , पौधा
आज खडा हूं
लहलहा रहा हूँ
सबको छाया दे रहा हूँ
सब एक-दूसरे को देखने लगे
मुस्कराकर अपने -अपने रास्ते हो लिए
Hindi Kavita, Kavita, Poem, Poems in Hindi, Hindi Articles, Latest News, News Articles in Hindi, poems,hindi poems,hindi likhavat,hindi kavita,hindi hasya kavita,hindi sher,chunav,politics,political vyangya,hindi blogs,hindi kavita blog
Sunday, 1 July 2018
बीज जो वृक्ष बना
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment