सब्जी लेने गई बाजार
बडी मंहगी थी
समझ नहीं आ रहा था
क्या लू क्या न लू
हर किसी के अलग-अलग नखरे
आखिर कुछ सब्जियां ले आई
किसका क्या बनाना और कब बनाना
कैसे बनाना
क्या क्या मसाले डालना
बैगनी बैगन दिखा
सोचा आज यही सही
काटने बैठी
ऊपर से अच्छा दिखने वाला
अंदर कीड लगी थी
अब लिया है
फेकना तो नहीं है
पैसे लगे हैं
कीड वाला भाग काटकर अलग कर दिया
अचानक विचार आया
कभी-कभी संबंधों मे भी कीड लग जाती है
तब हम उसे हमेशा के लिए तोड़ देते हैं
जबकि वह भी कितने जतन से बनाया हुआ होता है
सालों लगे होते हैं
पर एक झटके में तोड़ दिया जाता है
क्यों न उस कीड को हटाकर मिठास भरा जाय
छोटी सी जिंदगी है
उसे प्रेम से जी लिया जाय
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Friday, 7 June 2019
छोटी सी जिंदगी
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