सौ चूहे खाकर बिल्ली चली हज करने
यह मुहावरा है
पर इस पर भी मनन करना होगा
अपराध हो गया
अनजान या जानबूझकर
तब वह सही रास्ता कभी न चुने क्या ?
उसे सुधरने का मौका न दिया जाए
तब तो रत्नाकर डाकू ही रहता
मारता काटता रहता
बाल्मीकि बन रामायण की रचना न करता
आज बहुत से ऐसे लोग हैं
जिनका भूतकाल विवादास्पद है
इस समय वह अच्छा और मानवीय कार्य कर रहे हैं
पर लोग हैं कि टिप्पणी करने से बाज नहीं आते
जो हुआ सो हुआ
बहुत बुरा भी हुआ
पर अब आगे क्या ??
बिल्ली बन कर चूहे का भंजन करते रहे
या फिर अच्छे कामों में स्वयं को लगाए
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Friday, 7 June 2019
जो हुआ सो हुआ
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