ससुराल से नई ब्याही हुई बेटी मायके आई थी
माॅ ने उसका मनपसंद खाना बनाया था
माॅ ने उसकी थाली सजाई
बहुत सारे पकवान बनाए थे
बेटी खाने को बैठी
माँ आई अपना मोबाइल लेकर
फोटो खींचा
बेटी ने पूछा
यह क्या कर रही हो
शिवम को भेजना है
होस्टल में रहता है न
उसे चिंता रहती है कि माँ ने क्या खाया
खाना बनाया या नहीं
मैं तो अकेले हूँ ,अपने लिए कुछ भी बना लूंगी
पर वह तो बाहर है
पढाई कर रहा है ,उस पर असर न हो
वाह ,वाट्सअप करना और फोटो खीचना भी आ गया
हाँ ,नए जमाने के साथ चलना जो है
बच्चों की भावनाओं का ख्याल भी रखना है
कभी-कभी तो फुड ब्लॉग का भी फोटो भेज देती हूँ
उसे क्या पता चलेगा
निश्चिंत रहेगा
माँ अपने लिए भी अच्छा खाना बनाती है
सच बात तो यह है कि
जब तक खाने वाला न हो ,बनाने का आनंद नहीं
पता नहीं मेरा बेटा वहाँ भर पेट खाता है या नहीं
माॅ का पेट तो तभी भरता है
जब बच्चों का पेट भरा हो
माॅ की भावना मैं महसूस कर रही थी
संतान में ही उसका जीवन समाया है
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Friday, 5 July 2019
खाने वाला नहीं तो बनाने का आनंद भी नहीं
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