Wednesday, 3 June 2020

यही नियति है हमारी

आज जा रहे हैं
कल लौटेंगे भी
यह वतन हमारा
यह देश हमारा
देश का हर कोना हमारा
मजदूर है हम
जहाँ मजदूरी मिलेंगी
वही रह लेंगे हम
देश का विकास हमारा विकास
इसमें हम भी भागीदार
यह सडके है हमारी
पसीना बहाया है यहाँ
तब जाकर दौड़ी है गाडियाँ
हमारा क्या
हम आज यहाँ कल वहाँ
जैसे ही निर्माण खत्म
हमारा भी डेरा डंडा उठा
फिर किसी वीरान - बंजर को
चले आबाद करने
इसकी तो आदत है हमको साहब
आप चिंता न करो
हम इतना दिल पर नहीं लेते है
कल को यह दिन भी भूल जाएंगे
हमें महल थोडे ही खडा करना है
झुग्गी झोपड़ी में ही तो रहना है
हमारी तो पीढी दर पीढी गुजर रही ऐसे ही
सरकार कोई भी हो
कैसी भी हो
हमें तो मजदूरी ही करनी है
यही नियति हमारी

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