आज जा रहे हैं
कल लौटेंगे भी
यह वतन हमारा
यह देश हमारा
देश का हर कोना हमारा
मजदूर है हम
जहाँ मजदूरी मिलेंगी
वही रह लेंगे हम
देश का विकास हमारा विकास
इसमें हम भी भागीदार
यह सडके है हमारी
पसीना बहाया है यहाँ
तब जाकर दौड़ी है गाडियाँ
हमारा क्या
हम आज यहाँ कल वहाँ
जैसे ही निर्माण खत्म
हमारा भी डेरा डंडा उठा
फिर किसी वीरान - बंजर को
चले आबाद करने
इसकी तो आदत है हमको साहब
आप चिंता न करो
हम इतना दिल पर नहीं लेते है
कल को यह दिन भी भूल जाएंगे
हमें महल थोडे ही खडा करना है
झुग्गी झोपड़ी में ही तो रहना है
हमारी तो पीढी दर पीढी गुजर रही ऐसे ही
सरकार कोई भी हो
कैसी भी हो
हमें तो मजदूरी ही करनी है
यही नियति हमारी
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Wednesday, 3 June 2020
यही नियति है हमारी
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