Thursday, 4 March 2021

बेटी का बाप

पापा हमारे प्यारे पापा
कैसे रहते हो तुम मेरे बिना
जिसको देखें बिना चैन नहीं मिलता था
आज अपने कलेजे के टुकड़े को किसी दूसरे घर भेजते
कैसा लगा होगा
छुप - छुप कर रोते हुए तो मैंने बहुत बार देखा है
मेरे लिए दहेज का सामान जुटाते
वर ढूंढते परेशान होते
मायूस होते
सर पकड़कर बैठते
पाई पाई जोड़ते
पढाया - लिखाया
काबिल बनाया
पर अपने घर रख न पाएं
आज बिदा की बेला में रोया है एक बाप
अब तक जो छिपा रखा था
वह जज्बात आंसुओं के साथ बाहर आ गया
मैं अपने गर्वित पापा का सर झुका देख रही थी
सबके सामने हंसते - मुस्कराते
मेहमानों की आवभगत करते
कहीं मन में एक दर्द समाएं
डर समाएं
बेटी का बाप होना
अपनी अमानत दूसरे को सौंपना
उसके भविष्य से अंजान इसलिए चिंतित भी
सुखी रहेगी या नहीं
उसके साथ कैसा व्यवहार होगा
सब अनिश्चितताओं से घिरा
वह सबसे बेचारा और लाचार
उससे ज्यादा लाचारी उसे कभी नहीं
तभी तो बेटी होती है तब वह खुश नहीं होता होगा
यह बात नहीं
वह चिंतित होता है
क्योंकि वह बेटी का बाप होता है

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