Saturday, 17 July 2021

सुरेखा सीकरी

दादी सा चली गई
अपने अभिनय की छाप छोड़ गयी
बालिका वधु की दादी सा को कौन भूल सकता है
जो उस सीरियल की जान थी
असली नायिका तो वही थी
एक अनपढ़ औरत का सफर
जो रूढ़ीवादी से आधुनिकता को स्वीकार करती है
वह भी अपने पोते की बहू के  कारण
एक कठोर सास
एक ममतामयी माँ
एक अनुभवों से पगी दादी
पूरा घर का दारोमदार उन्हीं के  कंधों पर
क्या चाल क्या ठसक
गले में हसुली
पैरों में कडे
सर पर दुपट्टा ओढे
न जाने कितने बडे बडे काम
गाँव की कम पढी लिखी भी वर्किंग लेडी हो सकती है
कठोरता पर ममता में पगा
पढा - लिखा बेटा
आधुनिक बहुए
उनके साथ तालमेल बिठाती दादी सा
यह किरदार कोई नहीं भूल सकता ।

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