Sunday, 16 October 2022

सब गुमनामी में

सबने राम को याद किया
रावण को याद किया
लंका विजय के भागीदार रहें 
उस युद्ध के सहयोगी  बंदर और भालू
वह कहीं गुम हो गए 
विभिषण,  कुम्भकर्ण,  मेघनाथ भी याद आए

यही तो होता है
सेहरा जीत का किसी एक के सर पर
और दूसरे गुमनामी में 
गांधी राष्ट्र पिता बनें 
उस स्वतन्त्रता की लडाई में 
न जाने कितने गुमनाम 
जिनका योगदान इतना कि
आजादी मिलती ही नहीं 
अगर वे न होते

सब भूल जाते हैं 
भूला दिए जाते हैं 
समाज हो
परिवार हो
राष्ट्र हो
कौन याद रखता है
इन नींव की ईटों को 
जिनके ऊपर यह बुलंद इमारत खडी है

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