अतीत की यादों में खोई
चिंतन - मनन करती
तभी छोटा सा नन्हा सा आया
अपनी डगमग चलती चालों से
हंसता हुआ चला आ रहा था
पैर उलझे गिर पड़ा
जोर से रोना शुरू किया
चुप कराया गोद में ले
फिर मचला और उतरा
गोद में बैठ रहना गंवारा नहीं
ठुमक - ठुमक फिर चला
हंसता - खिलखिलाता
मानो कह रहा हो
गिरा तो क्या
उठने से क्यों डरना
चलना क्यों छोड़ना
छोड़ना हो तो अतीत को छोड़ो
हंसते मुस्कराते आगे बढ़ो
बैठना क्यों
डर से चिंता से
रुकावटे आती रहेगी
चोट लगती रहेगी
हम तब भी चलेगे
न चला तो जिंदगी चल देंगी
हम पीछे रह जाएंगे
लोग धकियाते आगे निकल जाएंगे
तो उठो
तो चलो
तो हंसो
तो आगे बढ़ो
तो अतीत को भूलो
पल को जीओ
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