मैं अपने चाचाजी के साथ बैंक में गई वहॉ कम से कम एक घंटे लग गए ,मैं ऊब रही थी ,सोचा क्यों इनके साथ आकर अपना समय बरबाद किया
मैने चाचाजी से कहा आप नेट बैंकिग का क्यों इस्तेमाल नहीं करते यह सुनकर उन्होंने जो जवाब दिया वह लाजवाब था
उनका कहना कि यहॉ मैं सालो से आता हूँ बैंक का हर एक कर्मचारी मुझे पहचानता है देखा तुमने कैसे सबने मेरा मुस्कराहट के स्वागत किया
उस क्लर्क को देखा इतनी व्यस्तता के बाद भी मुझसे पूछा ,कि बहुत दिनों बाद आए अंकल "तबियत तो ठीक है न ,इतना अपनापन
यहॉ मेरे चार पुराने दोस्त मिले ,हाथ मिला ,दिल मिला
मेरे बच्चे तो विदेश में है पर मेरा हालचाल पूछने वाले ये ही लोग हैं
एक बार मैं बीमार पडा था दूधवाला भैया रोज आकर मेरे पास बैठता और कुछ मंगाना है या कुछ काम है तो बताना साहब
मेरी पत्नी एक बार सुबह के मॉर्निग वॉक पर गयी अचानक चक्कर खाकर गिर गयी
सामने वाला बनिया जहॉ से हम आटा,दाल ,चावल इत्यादि रोजमर्रा का सामान लेते हैं तुरंत दौडकर आया और आनन फानन अस्पताल पहुंचाया जिसके कारण मेरी जीवन संगिनी आज मेरे साथ है
सब कुछ नेट से हो भले जाएगा पर हम तो घर की चारदीवारी में कैद हो जाएगे
कोई का एक दुसरे से संबंध ही नहीं
आपस की बातचीत ,मेलमिलाप यह क्या नेट दे सकता है वह तो हमें अपना गुलाम बना रहा है
काम भले आसान हो जाय पर जीवन के ये पल वह नहीं दे सकता
मै हतप्रभ उनकी ओर देखने लगी
जीवन का दर्शन समझा दिया था
क्या उस दूधवाले और बनिये की जगह अमेजन और दूसरी कंपनियॉ ले सकती है? शायद नहीं
Hindi Kavita, Kavita, Poem, Poems in Hindi, Hindi Articles, Latest News, News Articles in Hindi, poems,hindi poems,hindi likhavat,hindi kavita,hindi hasya kavita,hindi sher,chunav,politics,political vyangya,hindi blogs,hindi kavita blog
No comments:
Post a Comment