सिकंदर ने पौरूष से की थी लडाई तो हम क्या करे
तो हम क्या करें ---यह गाना तो सबने सुना ही होगा , पर यह तो मजाक में कहा गया
पर पुस्तक क्यों पढना चाहिए??
यह प्रश्नचिन्ह है आज की नयी पीढी के समक्ष
मोबाइल और इंटरनेट ने इसे सरल बना दिया है
एक बटन दबाने की जरूरत है सब हाजिर
पर हमारी मानसिक खुराक का क्या
पुस्तकें हमें जीवन ,जीना सिखाती है
जिंदगी से साक्षात्कार कराती है
भूत , वर्तमान और भविष्य से परिचित कराती है
शब्दों और वाक्यों से खेलना सिखाती है
एक हम ही है सब प्राणियों में जिसे भाषा मिली है
फिर उसकी उपेक्षा क्यों?
मन में उमडते घुमडते विचारों को व्यक्त करने का माध्यम है यें
अगर पुस्तकें न होती तो जीवन नीरस हो जाता
मोबाईल और कम्पूयटर एकबारगी धोखा दे सकते हैं पर पुस्तकें कभी नहीं
अगर पुस्तकें न होती तो कुराण ,बाईबल और गीता -रामायण कहॉ होती
संस्कृति और सभ्यता कहॉ होती
स्वतंत्रता की लडाई कैसे होती?
तिलक की केसरी और टैगोर का जन गण मन कहॉ होता
ना भूगोल होता और न ईतिहास होता.
विग्यान और गणित के प्रयोग और खेल न होते
एक पीढी से दूसरी पीढी को ग्यान कैसे हस्तांतरित होता
पंत जी और बच्चन जी की कविता कहॉ होती
कालीदास का शाकुंतलम ,प्रेमचन्द की गोदान और शेक्सपियर के नाटक कहॉ होते
सच कहा जाय तो जीवन नहीं होता
पुस्तकों से अच्छी कोई साथी नहीं
इसलिए पुस्तकों से दोस्ती करिए
जीवन को सार्थक और सरस बनाइए
कलाम साहब के सपनों को और ऊँची उडान दीजिए
Hindi Kavita, Kavita, Poem, Poems in Hindi, Hindi Articles, Latest News, News Articles in Hindi, poems,hindi poems,hindi likhavat,hindi kavita,hindi hasya kavita,hindi sher,chunav,politics,political vyangya,hindi blogs,hindi kavita blog
No comments:
Post a Comment