आजादी मिली सब खुश
न जाने कितने इंतजार प्रयत्न और बलिदान करना पडा
१८५७ से शुरू हुआ संग्राम १९४७ पर आकर खत्म हुआ ,यूनियन जैक की जगह तिरंगा फहरा लाल किले पर
जवाहर लाल नेहरू प्रधानमंत्री बने
मोहनदास करमचंद गॉधी राष्ट्र पिता बने
हर कोई किसी न किसी पद पर विराजमान हुआ
हमारे नेता हमारी सत्ता हमारा संविधान हमारा झंडा हमारा गणतंत्र हमारा संसद भवन और हमारी सरकार
गुलामी की जंजीरे कट चुकी थी लोग स्वतंत्र भारत में सॉस ले रहे थे
आजादी तो अंग्रजों से लडकर पा ली पर उसके पश्चात
पाकिस्तान से विभाजन का दंश
चीन से लेकर कारगिल तक की लडाई
आज भी पडोसी का वार झेल रहे है
पडोसी और दुश्मन का वार तो ठीक है पर घर के अंदरूनी लडाई
दुश्मन का साथ दे हमारे मुल्क के लोग
फिर कहा जाय देशभक्ति पर संदेह
सबका कर्तव्य है घर में शॉति स्थापित करना
प्रेम और भाईचारे से रहे
दूसरे का झंडा नहीं अपना झंडा फहराया जाय
क्रिकेट में स्वयं के देश के जीतने पर जश्न न कि पडोसी के , पडोसी को मिलकर मुंहतोड जवाब देना न कि शिकायत करना
जाति को लेकर राजनीति
धर्म और जाति के आधार पर बंटना और बॉटना
हर दिन कोई न कोई झमेला
फिर असली आजादी कहॉ?
असली आजादी तो वह होगी जब पूर्ण समर्पण हो देश के प्रति न कि कोई मसला ढुढना
कभी असहिषणुता तो कभी आरक्षण
तो कभी प्रांतीयता और भाषावाद
इनके ऊपर उठना और विकास की बात सोचना
यही गणतंत्र का असली मायने होगा .
Hindi Kavita, Kavita, Poem, Poems in Hindi, Hindi Articles, Latest News, News Articles in Hindi, poems,hindi poems,hindi likhavat,hindi kavita,hindi hasya kavita,hindi sher,chunav,politics,political vyangya,hindi blogs,hindi kavita blog
No comments:
Post a Comment