Friday, 29 January 2016

देशभक्ति क्या केवल तारीखों में सिमट कर रह गई है

स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर ही देशभक्ति दिखाई देती है बाकी समय तिरंगे को अलमारी में रख दिया जाता है
अगले दिन सडक पर पडे हुए मिलते हैं
क्या झंडा फहराना हमारी मजबूरी है या राष्ट्रगान के समय खडा रहना और सम्मान देना
छुट्टी मिलने पर लोग खुश होते हैं और न जाने क्या -क्या योजनाएं बनायी जाती है
असल में हम अपने सैनिकों और बलिदानियों को याद करते हैं क्या?
देश भक्ति मन से आना चाहिए न कि थोपा जाना
कल एक मैसेज पढा व्हट्सप पर कि जो दिल को छू गई
सो जाएगी कल लिपटकर तिरंगे के साथ अलमारी में
यह देशभक्ति है साहब  ,
केवल तारीखों पर ही जागती  है
सच में ऐसा ही है क्या ?
कहीं हम भी तो यही नहीं कर रहे हैं.
अगर ऐसा है तो यह अच्छा संकेत नहीं है
अगर देशभक्ति होगी तो फिर हम अपना जान कर स्वच्छता या भ्रष्टाचार नहीं करेंगे
देश का अपमान नहीं सहेगे
अपने देश पर गर्व करेंगे न कि उसकी आलोचना
केवल मरना ही देशभक्ति नहीं है 
एक अच्छा नागरिक बनना भी देशभक्ति है

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