आजकल भीड का उत्तेजित होना आम बात हो गई है
कुछ भी दुर्घटना हुई कि तोड फोड -फुकना जलाना
आम बात हो गई है
आसपास की गाडियों को फूकना ,शीशे तोडना आम बात हो गई है
जबकि उनका कोई दोष भी नहीं था
चक्का जाम करना जिससे कि सब कुछ बिगड जाता यात्री फंस जाते हैं
समय पर अपने गंतव्य पर नहीं पहुँच पाते हैं
जिसने गलती की है सजा का भागी वह है नकि साधारण लोग
भीड का तो कोई धर्म नहीं होता
सब बिना जाने सुने अपना गुस्सा जाहिर करने पर और हाथ सफाई करने लग जाता है
बिना यह सोचे समझे कि इससे क्या हल निकलेगा
अब तो एक और भी बात चल निकली है
जब तक नेता न आ जाए और मुआवजा न घोषित करे
यह काम बिना तोडे फोडे भी हो सकती है
कानून है न , अगर जो भी दोषी हो उसको सजा मिले
पर नुकसान कर के क्या मिलेगा
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