Friday, 19 February 2016

मैं एक शिक्षक हूँ

हमारा स्वास्थ्य कितना भी खराब हो
हमारे घर में कितनी भी समस्या हो
हम अपने बच्चों पर भले न ध्यान दे
हमारे घर में समारोह हो
पर हमारा ध्यान पाठशाला में
हमें घर पर बात करने की फुर्सत न हो  पर अभिभावकों से बात करना है
हम तो भविष्य बनाते हैं
कितने बिगडैलों को ठीक करते हैं
जीवन का पाठ पढाते हैं
उनकी गल्तियों को माफ करते हैं
उनकी शैतानियों को नजरअंदाज करते हैं
कितना भी इलेक्ट्रानिक युगआ जाय
पर वह तो हाड मॉस का इंसान तो नहीं हो सकता
मशीन पाठ पढा सकता है पर उसमें जान तो नहीं डाल सकता
ऑखों पर चश्मा आ जाता है
जवानी बुढापे की ओर खिसकने लगती है
सारा समय पढने पढाने में लगा देते हैं
हर ज्ञान नई पीढी को देना चाहते हैं
विद्यादान से बेहतर तो कोई दान नहीं
छात्र कितना भी बडा हो जाय
पर हमारे सामने सर झुकाता ही है
हॉ मुझे गर्व है कि मैं शिक्षक हूँ
सही सुना आपने मैं शिक्षक ही हूँ

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