Thursday, 3 March 2016

यह प्रधानमंत्री नहीं एक नेता का वार था विरोधियों पर

आज मोदी जी संसद में सबसे सहयोग की अपील कर रहे थे या शब्दों के बाण छोड रहे थे
हर विषय को उन्होंने छुआ विशेषकर राहुल गॉधी के सवाल का जवाब ,वह भी उदाहरण दे -देकर
जवाहरलाल नेहरू से लेकर राजीव और इंदिरा का भी उल्लेख किया
उनकी बातों पर सत्ता पक्ष की खूब तालियॉ बजती रही
और विपक्ष बगले झाकता रहा
विपक्ष के नेता को मंदबुद्धि और असमझदार कहना यह बात प्रधानमंत्री को शोभा नहीं देता
उनको तो बडप्पन दिखाना चाहिए था
अपने पद की गरिमा रखना था न कि तंज दिखाना
प्रधानमंत्री प्रखर वक्ता है उनके सामने तो बडे-बडे भी नहीं टिकेगे तो राहुल की क्या बिसात
वह सहयोग की अपेक्षा कर रहे थे या विपक्ष को जलील कर रहे थे,मजाक उडा रहे थे
सारा विपक्ष हतप्रभ था उनके ही नेताओं का नाम लेकर निशाना साधा जा रहा था
पिछली सरकार के कामकाज को निशाना बनाने की बजाय स्वंय अपने कामकाज से अच्छा साबित करना चाहिए न कि किसने क्या किया
विपक्ष तो बोलेगा ही जब यह लोग विपक्ष में थे तो क्या कर रहे थे
बिन् नाम लिए सब कुछ कह दिया और किसकी तरफ इशारा था वह भी दिख रहा था
विपक्ष के नेता को पप्पूऔर बेवकूफ साबित करना उनके और उनके नेताओं द्वारा
यह विपक्ष कैसे सहन कर सकता है
सदन की गरिमा बनाए रखना तो हर सदस्य की जिम्मेदारी है और प्रधानमंत्री की सबसे ज्यादा
उनके बोल इस तरह है तो उनके नेताओं के तो रहेंगे ही
प्रधानमंत्री अपने कार्यों से अपने को बडा सिद्ध करें
न कि विपक्ष पर प्रहार कर.
जनता ने तो उनको अपना नेता बनाया है अपनी भलाई और अच्छे कार्य करने के लिए
न कि ऐसी बातों पर ध्यान देने के लिए
पर उपदेश कुशल बहुतेरे  -का मुहावरा दूसरों के लिए छोड दे
एक प्रभावशाली और सशक्त नेता की भुमिका निभाए.
गरीब हो या अमीर या मध्य वर्ग हर की जरूरत का ध्यान रखना है न कि एक को खुश करने के लिए दूसरों के साथ अन्याय
नौकरी पेशा वर्ग के साथ भी न्याय हो
उनके पी एफ के पैसों पर डाका न डाला जाए  

यह राष्ट्रपति के अभिभाषण का धन्यवाद नहीं राहुल गॉधी पर वार था

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