यह एक उच्च न्यायालय का आदेश है कि माता- पिता १८ वर्ष होने पर उसकी जवाबदारी और जिम्मेदारी से मुक्त है और व्यक्ति स्वतंत्र है
उसे सारी आजादी है ,स्वावलंबी बने और अपनी जिंदगी खुद अपनी तरह से जीए
१८ वर्ष होने पर मतदान का अधिकार, ड्राइविंग लाइसेंस ,बैंक खाता औ ए टी एम का उपयोग यह तो हासिल हो जाता है
पर ध्यान रहे यह अमेरिका नहीं है यहॉ तो पच्चीस साल तक मॉ -बाप पर ही निर्भर रहता है ,यहॉ तक कि कभी- कभी तक उसकी पत्नी और बच्चे भी
वह क्या करेंगा ज्यादा से ज्यादा १२ वी पास होगा
उसके आगे का करिअर ,पढाई का खर्चा ,अन्न ,वस्र,आवास आरोग्य,शिक्षा, मनोरंजन सभी अभिभावकों की तरफ से पूर्ण की जाती है
हॉ ,गरीब तबके के बच्चे जरूर बचपन से ही काम करने लगते हैं
हॉ मध्यम वर्ग कोरकसट कर अपने बच्चों को सारी सुविधाएं देने में लगा रहता है
शहर के कुछ बच्चे पढाई के साथ कमाई करते हैं पर वह केवल उनके जेबखर्च तक ही सीमित रहता है
समाज को मजबूत और नई पीढी को तैयार करना है तो कैसे इससे मुक्त हो सकते हैं
उसे मार्गदर्शन की जरूरत भी है मतदान और ड्राइविंग से वह समझदार नहीं हो जाता
यह उमर भटकने की भी होती है
फिर यह अमेरिका नहीं है भारत है हमारी परिस्थिती अलग है
हम तो अपने बच्चों को आम जैसे भूसे के पाल में डाल कर पकाते हैं
वहॉ के बच्चे समय से पहले ही परिपक्व हो जाते हैं
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