नाम हेै कन्हैया कुमार और जे एन यू के छात्र संघ के अध्यक्ष
पर ऐसा लगता है कि सच में कन्हैया यानि भगवान कृष्ण अवतरित हो गए है और यदा यदा सी वाला श्लोक कह रहे हो
कि हे अर्जुन जब- जब धर्म की हानि होती है ,मैं अवतरित होता हूँ
तो यह कन्हैया अचानक स्टार बन गए
हर टोलीविजिन चैनलों में छाये रहे
साक्षाक्तार होता रहा
मानों वे जेल से छूटकर नहीं बल्कि कोई बडा कार्य कर आए हो
अब भारत का विकास इनके ही हाथों होने वाला है
मोदी जी को रास्ता दिखा रहे हैं
यह जो हमारे नेता है उनको यहॉ तक पहुंचने में सालोसाल लग गए
उन्होंने जीवन के हर अनुभव को घुट्टी में घोलकर पिया है ,अपना योगदान दिया है
हम नागरिक होने के नाते उनसे अच्छे काम की अपेक्षा कर सकते हैं पर इस तरह
कन्हैया को शिक्षक बनना है पर वह शिक्षक नहीं राजनेता बनना चाहते हैं
जे एन यू में रहकर पी एच डी करना और छात्र राजनीति करना
क्या उनको मालूम है कि कितने शिक्षक ऐसे है जो पढाई करते - करते और साथ में काम भी करते ,अपने परिवार को संभालते अपनी डिग्री हासिल की है
डी एड,बी एड, एम ए पी एच डी सब हासिल की है
इनकी माता जी ऑगनवाडी में काम करती है पर कितनी औरते हैं जिनको काम नहीं है
भाषण देना अलग बात है ,भाषण अच्छा था और प्रभावशाली भी था
मजा भी आया ,लोग खूब हँस भी रहे थे
व्यंग भी था मोदी जी पर और नेताओ पर
पर भाषण देना अलग बात है और काम करना अलग
हमारे पहले प्रधानमंत्री मनमोहन जी को तो यह कला आती नहीं थी फिर भी उनकी काबिलियत को सब मानते थे
प्रधानमंत्री अकेले क्या करेंगे ,भ्रष्टाचार इतनी गहरी जडे जमा चुका है कि पूछो मत
कन्हैया कुमार तो गॉव से है और वह भी बिहार के बेगुसराय से
मालूम ही होगा कि एक प्रधानी का चुनाव लडने के लिए पैसा पानी की तरह शराब और मॉस पर बहाया जाता है
यह वास्तविकता है हर कोई खाने और अपना जेब भरना चाहता है
कन्हैया कुमार वहीं से क्योंनहीं अपने समाज बदलने के कार्य को शुरू करते ?
छात्र पढने के लिए है और विश्वविधालय राजनीति का अड्डा नहीं है
बाहर आए और कुछ सकरात्मक कार्य करें
भाषण तो बिहार का एक साधारण किसान भी दे देंगा प्रधानमंत्री का सम्मान करें
अगर देश का सम्मान करते हैं तो उसके प्रतिनिधी का भी सम्मान करें
पहले कुछ करो फिर बात करो
देश ने ऐसे बहुत से लोगों को देखा है
जिनका आज नाम - निशान भी नहीं है
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