कोलकाता के बुर्राबाजार के भीडभरे इलाके में बडे पुल का निर्माण और वह भी तीन सालों से चल रहा अचानक ढह जाना
लोगों की जान माल की हानि और वह भयानक मंजर की कल्पना कर ही मन कॉप जाता है
पहली बात तो यह कि यह काम इतना लंबित क्यों हुआ
आसपास दोनों तरफ ईमारतें बनी हुई है
पुल के नीचे कामगार और भिखारी भी रहते थे
हैदराबाद की कंपनी को यह पुल निर्माण का कार्य दिया गया था
पुल का ढहना यह ईश्वर की मर्जी थी
यह उनके अधिकारियों का कहना था
अब यह किसकी मर्जी और मिलीभगत है यह तलाशना तो पुलिस का कार्य है
पर जो लोग मौत के मुँह में समा गये हैं उनका क्या?
और यह कोई पहली दूर्घटना नहीं है इसके पहले भी हुई है ,आज भी कई पुल जर्जर अवस्था में हैं
जब तक कोई दुर्घटना नहीं हो जाती तब तक न सरकार और न उसके अधिकारी उस पर ध्यान देते हैं
जनता का टेक्स का पैसा लगता है और काम करते समय घटियॉ और सस्ते सामानों का इस्तेमाल किया जाता है
इसकी बराबर छानबीन करना चाहिए और जिम्मेदार लोगों को दंडित करना चाहिए
जान इतनी सस्ती नहीं है वह चाहे भिखारी की हो ,सामान्य नागरिक की हो या कामगार की
ममता सरकार को भी इस पर संज्ञान लेना चाहिए
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