भाजपा के इस कद्दावर नेता की उनके ही छोटे भाई ने गोली मारकर घर में मौत के रास्ते पर पहुंचा दिया था
महाराष्ट्र में क्या वे पूरे भारत मे अपनी पहचान बना चुके थे
मुंबई उनकी कर्मभूमी रही है
उन्हें भाजपा का लक्षमण भी कहा जाता रहा है
उनके बोलने का ढंग, चलने का अंदाज और अपने प्रतियोगियों को जवाब देकर चारों खाने चित्त करने का अंदाज ही निराला था
मुस्कराता हुआ चेहरा और सभी से उनके अच्छे संबंध
पता नहीं उस सुबह क्या हुआ कि उनके ही छोटे भाई ने यह कॉड किया
यह तो रहस्य ही है और भाई भी इस दुनियॉ में नहीं है
अब तो उस राज से कभी पर्दा नहीं उठ सकता
पर भारतीय राजनीति ने अपना एक चमकता हीरा खो दिया
शायद महाजन जीवित होते तो शायद तस्वीर कुछ और ही होती
भारत की यह विडंबना रही है कि उसने अपने ऐसे न जाने कितने युवा नेताओ को असमय खो दिया
वे चाहे किसी भी पार्टी से जुडे हो लेकिन उनकी जगह कोई नहीं ले सकता
फिर वह चाहे राजीव गॉधी हो ,माधवराव सिंधियॉ हो या गोपीनाथ मुंडे हो
देश को उनकी जरूरत थी
उनकी जाना देश के लिए दुर्भाग्यपुर्ण ही रहा है
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