आज सुबह ही समाचारपत्र में पढा कि एक युवा ने आत्महत्या कर ली छत से कूदकर क्योंकि वह बुरी संगत में पड गया था
और जाते - जाते अपने पिता से इस बात के लिए माफी भी मॉगी
क्या गुजरती है जब मॉ- बाप पर जब उनके नौनिहाल इस तरह छोड कर चले जाते हैं और उनकी जिंदगी को चलती - फिरती लाश बना जाते हैं
कुछ साल पहले सनी देओल और अमीषा पटेल की गदर फिल्म आई थी जिसमें विभाजन के दौरान वह यही छूट जाती है और उसका परिवार पाकिस्तान चला जाता है
यहॉ वह उसे शरण देने वाले नायक से विवाह करती है
तथा एक बच्चे की मॉ भी बनती है
बाद में पाकिस्तान में उसका सम्मानित राजनयिक परिवार की खबर प्राप्त होने के बाद जाती है मिलने के लिए पर आ नहीं पाती
वहॉ उस पर दवाब डाला जाता है सब कुछ भूलकर नया जीवन शुरू करने के लिए
पर वह तैयार नहीं होती ,बंदिश लगा दी जाती है
मर क्यों नहीं जाती का ताना सुनने पर वह कहती है
मैं मर भी तो नहीं सकती ,मेरा पति और बच्चा मुझे ढूढते हुए आएगे ,तो उन पर क्या बीतेगी
यह प्यार की ताकत है ,हम अपनों से बहुत प्यार करते हैं पर बता नहीं पाते
उनका जीवन हमारे लिए सबसे बढकर है
वह हर रूप में हमें स्वीकार है
उसे अहसास दिलाना है कि उसके बिना हम जी नहीं सकते
कभी कोई कदम उठाने के पहले हमें याद कर लेना
शायद उसका बढा हुआ कदम रूक जाय
हमीं उसके डॉक्टर, माता- पिता ,मनोचिकित्सक ,साथी - दोस्त सब है
जीवन बहुमूल्य है और इसे संजोकर रखने के लिए प्यार का इजहार भी जरूरी है
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