सब परेशान ,सब बेहाल
रूपए ने कर रखा है हाल खराब
है तो मुश्किल नहीं तो मुश्किल
कितना निकाले, कितना खर्च करे
पैसा होने पर भी खर्च करने से डर लगता है
क्योंकि लंबी कतार में कौन खडा रहेगा??
एक दिन कतार में ,चार दिन बीमार
आम आदमी हो गया है लाचार
कडक ,ताजा नोट के लिए लालायित
प्रधानमंत्री का निर्णय कठोर और कडक
पर सुबह की कडक चाय भी दुर्लभ
चाय की तो सबको तलब
बडा- पाव ,ढाबे पर खाना
टेक्सी चालक ,दिहाडी मजदुर जैसे
कतार में खडे रहेगे या काम करेंगे
परिवार कैसे चलेगा
यही मजदूर वर्ग पंक्तिबद्ध होकर वोट देता है
वह आज कतार की मार सह रहा है
अमीर तो घर में बैठा है
न वह रूपए की कतार में खडा है
न वोट देने की कतार में खडा रहता है
पर मार उस पर नहीं
जन सामान्य पर पड रही है
जिस लोगों की वजह से सत्ता मिली है
वही आज कतार में खडे अपने ही रूपए के परेशान है
क्या उनको मिला
कतार पर कतार
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