शहीदों की मौत पर भी राजनीति
कम से कम सेना को तो बख्श दिया जाय
उनका विज्ञापन क्यों करना है अपने चुनाव प्रचार के लिए
वे अपना काम कर रहे हैं, शांति से उनको करने दो
रोज- रोज कभी सर्जिकल तो कभी शहादत को लेकर
मीडिया का जमाना है यह बात सही है
पर हर वक्त का प्रोपोगंडा ठीक नहीं
उनके परिवार की भलाई के लिए
या उनके लिए कुछ किया जाय
पेंशन और वेतन में सुधार हो
रिटायर होने के बाद उनको कोई परेशानी न हो
इन सब बातों का ध्यान रखा जाय
सीमा पर तो वह भटकता ही रहा है
पर अवकाश के बाद की जिंदगी शांति से गुजरे
इन सब पर विचार किया जाय
वे आत्महत्या करने पर मजबूर न हो
इस पर ध्यान दिया जाय
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