दिवार पर टंगा बया का घोसला
शो - पीस के रूप में ,देख कर दंग
इतनी बारीक और करीने से बुना
कितना प्रयास और मेहनत पडा होगा
अपने परिवार को संरक्षण देने में ,सजाने में
एक ऑधी ने सब ध्वस्त कर दिया
हम भी तो कितनी मेहनत से तिनका जोड- जोड
आशियाने का निर्माण करते हैं
सजाते हैं ,संवारते हैं
हर व्यक्ति की ईच्छा उसके सपनों के घर की होती है
इस स्वप्न को पूरा करने के लिए वह जी- जान से प्रयत्न
करता है
पर प्रकृति की विभिषिका सब ध्वस्त कर जाती है
महाप्रलय का तांडव कुछ भी नहीं छोडता
लाचार व्यक्ति देखता रह जाता है
कभी तूफान ,कभी बाढ ,कभी भूकंप
आज आगजनी और बमबारी के कारण
जीवन बच जाता है पर घर नहीं
वह बेघर हो जाता है
फिर वही जद्दोजहद शुरू
पर अबकी बार इतना आसान नहीं
पीढी गुजर जाती है
आशियाना बनाने में
अब फिर कब वह सुंदर आशियाना बनेगा?????
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