Monday, 12 June 2017

यह हमारा छाता है

आ गया मानसून
खुल गए छाते
रंगबिरंगा और नए अवतार में
क्या बच्चे क्या बूढे सभी का प्यारा
बच्चों के लिए खिलौना तो बूढो का सहारा
लाल ,पीला ,नीला ,गुलाबी
और ऊपर से चित्रकारी
अब वह काला ही नहीं रंगों से भरपूर है
वर्षा की मार से बचाता
गर्मी की लपटों में सुकुन देता
घनघोर वर्षा हो रही हो
भले भीग रहे हो
पर एक सुकुन तो मन में होता है
अपने पास तो छाता है
छाते को भूले तो फिर आफत है
पर फिर भी यह साल में एक बार निकलता है
पर जब निकलता है तो
चेहरा नहीं छाता दिखाई देता है
सबको अपने में समेट लेता है
क्या अमीर क्या गरिब
सभी की जरूरत है यह
हॉ इसके खरिदार की अपनी- अपनी औकात
मंहगा - सस्ता या डिजाईनदार
पर सबको एक समान छत देता है
इसलिए तो सबका प्यारा है
यह हमारा छाता है.

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