बगिया में खिला एक गुलाब का फूल
सुंदर ,खूबसूरत , चटकीला
ओस की बूंद उस पर झिलमिला रही
सूर्य अपनी रोशनी दे उसे सवार रहा
हवा हिचकोले दे दुलार रही
तितली उस पर बैठ डोल रही
भंवरे चारो ओर मंडरा रहे
रंगत है उसकी शानदार
आने - जाने वाले सब बडी हसरत से निहारते
हर किसी का मन मचलता उसे तोडने को
बच्चे लपकते उसकी ओर
कोई प्रेमिका के बालों में लगाने के लिए
कोई ईश्वर के चरणों में चढाने को
पर बगिया का माली है उसकी रक्षा को तैयार
फूल खिला है उसे खिलने तो दो
दो - तीन दिन की जिंदगी है
जी लेने दो ,मुस्करा लेने दो
वह तो खिलकर खुशियॉ ही दे रहा है
उसकी भी तो अपनी जिंदगी है
उसे जी भर कर जी लेने दो
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