Sunday, 2 July 2017

हरिवंश रॉय बच्चन जी की दोस्ती पर आधारित कविता


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....मै यादों का
    किस्सा खोलूँ तो,
    कुछ दोस्त बहुत
    याद आते हैं....

...मै गुजरे पल को सोचूँ
   तो, कुछ दोस्त
   बहुत याद आते हैं....

_...अब जाने कौन सी नगरी में,_
_...आबाद हैं जाकर मुद्दत से....😔_

....मै देर रात तक जागूँ तो ,
    कुछ दोस्त
    बहुत याद आते हैं....

....कुछ बातें थीं फूलों जैसी,
....कुछ लहजे खुशबू जैसे थे,
....मै शहर-ए-चमन में टहलूँ तो,
....कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं.

_...सबकी जिंदगी बदल गयी,_
_...एक नए सिरे में ढल गयी,_😔

_...किसी को नौकरी से फुरसत नही..._
_...किसी को दोस्तों की जरुरत नही...._😔

_...सारे यार गुम हो गये हैं..._
...."तू" से "तुम" और "आप" हो गये है....

....मै गुजरे पल को सोचूँ
    तो, कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं....

_...धीरे धीरे उम्र कट जाती है..._
_...जीवन यादों की पुस्तक बन जाती है,_😔
_...कभी किसी की याद बहुत तड़पाती है..._
  _और कभी यादों के सहारे ज़िन्दगी कट जाती है ..._😔

....किनारो पे सागर के खजाने नहीं आते,
....फिर जीवन में दोस्त पुराने नहीं आते...

_....जी लो इन पलों को हस के दोस्त,_😁
    _फिर लौट के दोस्ती के जमाने नहीं आते ...._

*....हरिवंशराय बच्चन*

_Dedicated to all freinds._
_Share it with your freinds too._

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