Tuesday, 5 December 2017

राहुल युग की शुरूवात

राहुल गॉधी को कॉग्रेस अध्यक्ष पद की कमान सौपी गई है देखना यह है कि इस पर वे कितना खरे उतरते हैं और अधमरी हुई कॉग्रेस को कौन सी संजीवनी देकर पुन: जीवित करने का प्रयास करेंगे
युवा है और सबकी निगाहे भी उन पर टिकी हुई है
सोनिया गॉधी की उम्र और स्वास्थ्य को देखते हुए यह दिन तो आना ही था
वैसे राहुल राजनीति में कोई नौसिखिये नहीं है
एक दशक से ऊपर हो चुका है राजनीति करते
मोतीलाल नेहरू के बाद की परम्परा को कायम रखने वाले यह कॉग्रेस छठे अध्यक्ष होंगे
उनका यह कहना कि गॉधी परिवार में जन्म लेना यह उनकी मर्जी से नहीं था
सच भी है
उन्होंने मट्टी भी सर पर उठाई
गरीब - पिछडों के साथ बैठकर खाना खाया
नोटबंदी के समय में लाईन में लगे
साधारण कुरता - पायजामा में रहना
मंदिर - मस्जिद - गुरूद्वारे का चक्कर
सब कुछ कर रहे हैं
हॉ वह जमीन से उठे हुए नेता नहीं है पर इसका यह मतलब तो यह भी नहीं कि उन्हें सब्जी - फल का अंतर भी न मालूम हो
उनके नाम को लेकर खूब माखौल भी उडाया गया
न जाने कौन - कौन सी उपाधियों से नवाजा गया
पर वे मोर्चे पर डटे रहे
सरकार के  खिलाफ बोलते रहे
सूट- बूट की सरकार वाली बात से तो सब हिल गए
उत्तरप्रदेश और बिहार में वह कुछ- कुछ कामयाब भी हुए थे पहले
पर अखिलेश और उनकी जोडी की इस बार बात नहीं बनी
पर यह तो राजनीति है
आज हम तो कल कोई और
राहुल के साथ चुनौतियॉ भी है
गुजरात चुनाव सर पर है
देखना है वह इस पर कितना खरे उतरते हैं
मोदी जी और अमीत शाह के सामने वह खडे होने की हिम्मत दिखा रहे हैं
उनके ही गढ में जाकर प्रचार कर रहे हैं
उनके सामने बहुत बडी जिम्मेदारी है
धार्मिक और आर्थिक मुद्दे पर लडाई लडनी है
विरोधी उनको नीचे गिराने में कोई कसर नहीं छोडना चाहते
उनके धर्म को लेकर विवाद
उनके अध्यक्ष पद को लेकर विवाद
उनको औरंगजेब की भी संज्ञा
बिना काम की बात को लेकर निशाना बनाना
वैसे राजीव गॉधी को भी ड्राईवर बताया गया था पर उस ड्राईवर ने देश को चलाया भी और इक्कीसवीं सदी का सपना भी दिखाया
डिजिटल इंडिया उनकी ही देन है
किसी की क्षमता को कम आकना नहीं चाहिए
यह तो समय ही बताएगा कि राहुल कॉग्रेस को कहॉ पहुंचाएगे

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