यह राजनीति का सर्कस है
जनता तो दर्शक है
जब कभी डगमगाए ,देती है जोरदार पटखनी
होश ही उड जाते हैं
शब्द भी लडखडा जाते हैं
चारों तरफ अंधकार
दूसरे क्या अपने भी व्यंग करने से नहीं चूकते
आज मोदी - योगी की जोडी को छोड
बुआ - भतीजा की जोडी को तव्वजों दी
बुआ के हाथी ने साईकिल चलाया
गढ में घुसकर सेंध लगाई
फूलपूर में ही फूल मुरझा गया
गोरखपूर के मंहत का मठ ढहा दिया
योगी तो ताकते रह गए
जनता ने अपना काम कर दिया
ये नेता समझते हैं कि जनता को हम नचाते हैं
जबकि छडी तो जनता के हाथ में है
वह विशालकाय हाथी से लेकर शेर तक को नचाती है
यहॉ कोई स्थायी नहीं
यह सर्कस अपना डेरा बदलता रहता है
आज यहॉ तो कल वहॉ
इसका तो स्वभाव ही है ज्यादा समय तक न टिकना
मनोरंजन के नए साधन न ढूढे तो दूसरी बार कोई नहीं देखेगा और आएगा
राजनीति भी ऐसी ही है
नेता काम नहीं करेंगे
केवल जुमलेबाजी से जनता खुश नहीं होगी
सर्कस में रिंग मास्टर की ही चलती है
कोई कितना ही बलवान और विशालकाय हो
यह तो सबको याद रखना है
कमल को भी अब कर्तब दिखाना होगा
हाथ को भी किसी का हाथ थामना होगा
और दूसरे दलों को भी
सत्ता पर काबिज होना है तो यह भी याद रखना है
इस सर्कस की असली रिंग मास्टर जनता है
हंटर उसके हाथ में है
नचाना उसका काम है नेता का नहीं
यह बात नहीं भूलना है.
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