विदेश से आए मेहमान
भारत की धरती पर पड़े कदम
स्वागत है आप लोगों का तहे दिल से
आपकी उजली - उजली आभा
प्रकाशयमान कर गई जमी को
गरमी मे भी शीतलता का एहसास
ओस की बूंद जैसी दमकती
चेहरे पर हास्य - मुस्कराहट झलकती
आपका अपनापन और प्यार
मन को भावविभोर कर गई
आपकी वह नमस्ते करने की अदा
उसका तो कोई जवाब नहीं
लगा कहीं कुछ गहरासंबंध
वह क्या .???
अंजान अपने लगे
इंसानियत है वह
मेहमान हमारा जान से प्यारा
वसुधैव कुंटुंब हमारी संस्कृति
धरती बांटी. सागर बाटा
मत बांटो इंसान को
यह विश्वास हमारा
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