Thursday, 17 May 2018

हाथों मे हाथ हो ,बस तेरा साथ हो

हाथों मे हाथ हो
जीवन भर का साथ हो
फिर किस बात का गम हो
कभी हाथ पकड़कर चले
साथ -  साथ चले
चलते चले
सालों बीत चले
यौवनावस्था पार की
अब वृद्ध हो चले
तब हाथ पकड़ने पर शर्म
छुडा लेते
कोई क्या कहेगा
आज सहारा है एक -दूसरे के
बिना पकड़े चलना मुश्किल
कदम डगमगाते हैं
लोग देखते हैं
सहानुभूति से
पर मन के कोने मे विश्वास
यही मेरा सहारा
और तो सब नाम के
एक बार पकड़ा तो फिर कभी न छूटा
बीच वाले सब छूट गए
रह गए बस हम दोनों
साथी का हाथ और साथ
बस अब ईश्वर से यही मांग
यह सलामत तो जग सलामत
मेरी दूनियां मेरा संसार
बस अब तो यही है मेरे आधार.

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