मौसम बदलते रहते हैं
यह कभी. एक सा नहीं रहते
कभी अतिवृष्टि
कभी ओले-पत्थर
कभी अकाल और गर्मी की मार
कभी अचानक आंधी तूफान
सब तहस नहस
पतझड़ भी आता
बाद मे वसंत का आगमन
सब कुछ होने के बाद भी हर मौसम का इंतजार
आएगा और कुदरत का कहर ढाएगा
यह कोई नहीं सोचता
पर यह होता है
होनी को कौन टाल सकता है
पर इसका मतलब यह तो नहीं
हम मौसम का स्वागत न.करे
निश्चित कुछ भी नहीं
पर जरूर भी है
यही तो जीवन है
कुदरत सिखाती है
हमेशा बहार ही नहीं पतझड़ भी होगा
मौसम सुहावना नहीं तूफानी भी होगा
कहाँ बचकर जाएंगे
मौसम की कब मार पडे
कब यह सहलाएँ
यह तो वही जाने
पर सामना करना है
जीवन जीना है
यह तो हमें ही जानना है
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