जम कर बारिश हो
तपते आंगन को राहत हो
मन मे खुशियों के बीज बोए
सब गिले -शिकवे धूल जाय
सुख -समृद्धि की बौछार हो
बहुत हो चुका इ़ंतजार
बहुत हो चुकी लुका छिपी
अब तो बूंदें बरस जाओ
मन-आंगन को महकाओ
बगिया मे फूल खिलने दो
अब तो सूखापन दूर करो
राह तक रही आँखें
सूनी आँखों को राहत दो
ओठो पर मुस्कान खिलने दो
इन्हें पथराने मत दो
अपनी कृपा की बौछार करो
तू ही है अब सहारा
अब तो सुधि लो
हे नारायण
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