साधु ,ज्योतिषी की शरण
वह भाग्य बताएंगे
हर जगह यह भाग्य का लेखाजोखा करनेवाले
किसी न किसी रूप मे विद्ममान
पीडित इनके पास पह़ुंचता आशा लेकर
बाबाजी कुछ तो बताएंगे
बाबा बता भी दे तो क्या फर्क
होना तो वही है
फिर भी दर-दर भटका जाता है
कुछ कर्म कांड करने की सलाह
पैसे ऐंठना
दिलासा देना
भावनाओं से खिलवाड़
पर मनुष्य है न
कोशिश करता रहेगा
ईश्वर मे आस्था हो तब भी
उलझन मे रहता है
वह यह भूल जाता है
होइए वही जो राम रचि राखा
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