Sunday, 22 July 2018

कारवाँ गुजर गया गुबार देखते रहे

नीरज जी नहीं रहे
काव्य जगत का ध्रुवतारा नहीं रहा
शब्दों के शिल्पी
जीवन और मृत्यु की गूढता समझाने वाला
प्रेम और विरह से परिचित करवाने वाला
कवि मंच को शानदार बनाने वाला
सबके दिलों तक पहुंचने वाला
आज हमारे बीच नहीं रहे
पर नीरज कहाँ मरे
कविता के माध्यम से हमारे साथ
उनका अंदाज कहाँ भूलेगा
शरीर तो नश्वर पर नीरज अमर
कारवां गुजर गया गुबार देखते रहे
सदियों इंतजार करना पड़ेगा
फिर कोई नीरज जैसा हो

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