शिवलिंग पर स्थित तीन लकीरों को ‘त्रिपुंड’ अथवा ‘त्रिपुंडी’ कहते हैं, जो परमात्मा शिव के तीनो शक्ति के धारक अर्थात (ब्रम्हाणी वैष्णवी तथा रुद्राणी), त्रिनेत्री, त्रिकालदर्शी और त्रिलोकीनाथ होने का प्रतीक हैं।।
शिव को ‘शंभू’ अर्थात ‘स्वयं-भू’ तथा सदाशिव भी कहते हैं, जिसका अर्थ है, शिव स्वयं उत्पन्न हुए हैं,उनका कोई रचयिता नहीं
वही अनादि परब्रह्म हैं, वही इस सृष्टि के आदि, वही परमात्मा हैं ।।
वही सत्यम ,शिवम और सुंदरम है।।
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