Thursday, 5 July 2018

कैसे हो रिटायर

जिंदगी तो उलझी पड़ी है
कैसे ले ले रिटायरमेंट
लोग कहते हैं नौकरी से हो लिए निवृत्त
अब घर की जिम्मेदारी से भी
पर यह तो हो नहीं सकता
बच्चे बडे हो गए
उनकी अपनी जिंदगी है
उनमें दखलंदाजी ठीक नहीं
सही है पर माँ हूँ न
बच्चे कितने भी बडे हो जाय
पर मां -बाप के लिए बच्चे ही
बच्चों को खरोच भी लगती है तो
कलेजा मुँह को आ.जाता है
रात भर नींद नहीं आती
उसी बच्चे की जिंदगी उलझनों से भरी हो
तब कैसे चैन मिलेगा
मर भी नहीं सकते
जीना चाहते हैं
उसकी सारी पीड़ा हर लेना चाहती हूं
पर यह तो हमारे बस में नहीं
ईश्वर मिलता तो फरियाद करती
कब इनको खुशियाँ मिलेगी
कब मैं शांति की सांस लूगी ।

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