Thursday, 5 July 2018

खेल और बच्चे

खेलना जरूरी है बच्चों को
पर विडंबना यह है कि बच्चे खेले कहाँ
खेलने के लिए मैदान जरूरी
जो है नहीं
यहाँ तक कि पाठशाला में भी
स्पोर्ट विषय मे शामिल
पर केवल एक हाल मे पी टी
ईमारतें बन गई है
पर बच्चों का ध्यान नहीं रखा गया
सब सुविधा उपलब्ध
बच्चों का बचपन खो रहा है
जिन गली -कूचे मे खेला जाता था
वहाँ भी अब गाड़ियां पार्क है
माँल बन गए
मैदान के लिए जगह नहीं
हमारे बच्चे टेलीविजन-मोबाइल के साथ
कमजोर बन रहे हैं
बचपन में ही बडे बन जा रहे हैं
परिपक्व बन रहे हैं
यह ठीक नहीं है
दस साल की उम्र मे बीस साल के जैसा बन जाना
शरीर अभी बढ़ने की जगह झुकने लग जा रही है
शरीर तंदुरुस्त तो मन भी तंदुरुस्त
स्वस्थ्य शरीर में ही स्वस्थ दिमाग
स्वास्थ्य ही धन है
यह उक्ति भूलना नहीं है।

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