Wednesday, 4 July 2018

घर आ जा लाल मेरे

बहुत हो चुका इंतजार
आँखें गई पथरा
बाट जोहते कितना समय बीत गया
कितने लाड़ प्यार से पाला
आँखों से ओझल न होने दिया कभी
हर इच्छा की पूरी
जिद के आगे हार मान ली
भेज दिया विदेश
पढाई कर वापस लौट आएगा
मन को तसल्ली थी
पर बेटा विदेशी बन जाएगा
वहीं का होकर रह जाएगा
यह तो नहीं सोचा था
ब्याह के सपने सजाए
घर -बार बनाया
पर तू तो नहीं आया
पता नहीं कितने दिन की है यह जिंदगानी
सारे अरमान रह गए अधूरे
तुझसे मिलने का अरमान लिए
कहीं यह दूनिया न छोड़ जाऊ
अपने कलेजे के टूकड़े को दिल से लगाऊ
तुझे भरा-पूरा देखने की आस
तेरी हर बात मानने को तैयार
बस अपनी मां की आखिरी बात मान
आ और गले लग जा
तेरा हाथ ,हाथ मे ले
प्यार से माथा.चूम
स्वर्ग यही मिल जाएगा
ऊपर से भी आशिर्वाद देगी

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