भाईबहन का प्यार माप ले कोई
यह तो संभव नहीं
एक ही जननी और जनक
यह बहुत सौभाग्य से मिलता
समय बदल जाता है
उम्र बढ़ जाती है
परिवार की जिम्मेदारी आ जाती है
स्वयं की औलाद हो जाती है
बच्चे बडे हो जाते हैं
सब अपनी गृहस्थी मे रम जाते हैं
भाई -बहन फिर भी वही रहते हैं
बस मौका मिले
लडने लगेंगे
बचपन साकार हो उठता है
घनिष्ठ प्यार जिसकी कोई नहीं मिसाल
बिना कहे ही एक दूसरे का दर्द समझ आ जाय
भाभो कैसी भी हो वह अपना खून नहीं है
जीजा कैसा भी हो पर वह अपना नहीं है
इनका प्यार रिस्ते दारी पर टिका होता है
पर भाई बहन का प्यार मन से होता है
यहाँ निभाना नहीं
स्वयं के दर्द को संभालना है
रक्षा बंधन तो एक दिन आता है
पर शायद यह पता है
यह जन्म से आया संबंध है
यह अटूट है
भाई भाई ही है
बहन बहन ही है
ऐसा निस्वार्थ प्यार हमें अपने बच्चों से भी नहीं मिलेगा
माता और पिता के बाद
अगला सबसे प्यारा संबंध
भाई बहन का ही होता है
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