बंद बंद बंद
बंद बन गया बम
जब मन करें
यह बम फोड़ दो
जबरन कामकाज रोक दो
रास्ता जाम कर दो
लोगों का.जीना मुहाल कर दो
जिनके लिए यह बंद
उन्हें ही इसकी कीमत भी अदा.करना
उनके लिए जानलेवा साबित हो
लोगों की संपत्ति और जानमाल की हानि
यह तो हो गई सामान्य बात
पर यह जनसामान्य के साथ अन्याय तो नहीं??
मंहगाई के विरोध मे बंद
आगजनी
रास्ता रोकना
दूकानें बंद
बंद भले ही शांतिपूर्ण हो
पर बंद तो बंद ही है
नुकसान तो होता ही है
बंद बिना सरकार क्यों नहीं सुनती
अर्थव्यवस्था इससे पीछे ही जाएगी
संसद मे क्यों नहीं बहस होती
हल निकाला जाता
सडक पर उतरना जरूरी क्यों हो जाता है
आजादी भीख मे नहीं मिली है
ऐसी स्थिति क्यों आ रही है
अब अंग्रेज नहीं है
अपने ही है
हमारी ही सरकार
जनता के नुमाइंदे भी हमारे
फिर क्यों बंद
हम स्वतंत्र है पर यह तो गलत है
बंद नहीं समाधान हो
सब आगे आए
और समस्या को सुलझाए
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