जिंदगी बहुत जिद्दी है
वह जब अड़ जाती है
तब मनवा कर ही छोडती है
बाद मे परिणाम कुछ भी हो
अपने आगे किसी की नहीं चलने देती
हम सोचते कुछ है
यह करती कुछ है
हर दिन इसका नया होता है
रात के समय सोचती कुछ
सुबह होते ही पलट जाती है
हमें सोचने और संभलने का मौका भी नहीं देती
अपने भंवर जाल मे उलझा कर
ताउम्र नचाती है
और कब साथ छोड़ जाएगी
यह भी नहीं बताती।
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