पूरी सोसायटी डरी हुई है
सांप घूम रहा है
बच्चे भी उसके पीछे पीछे
बच्चों को तो डर नहीं
सांप कभी दिख जाता है
कभी गायब हो जाता है
समझ नहीं आ रहा
सांप डर रहा है
वह भाग रहा है
हमसे डर कर
या हम उससे डर कर
पर कहीं ऐसा तो नहीं
वह सोचता है कि
कोई मुझे मारेगा
हम सोचते है कि
वह हमको काट लेगा
कब कौन सी घटना घट जाय
पर जिम्मेदार कौन??
हम भी भागीदार है
उनके घरों पर कब्जा जो जमा लिया है
वह भी कहाँ जाएगा
वह तो जहरीला जीव
जहर ही उगलेगा
पर हम तो समझदार हैं
स्वार्थी बन गए हैं
जीने का अधिकार तो सबका है
अगर हम उनका घर ध्वस्त करें
तब वह क्या करें
इधरउधर भटकेगा
जो रास्तें मे आएगा
उसे भी हानि ही पहुंचाएगा
Hindi Kavita, Kavita, Poem, Poems in Hindi, Hindi Articles, Latest News, News Articles in Hindi, poems,hindi poems,hindi likhavat,hindi kavita,hindi hasya kavita,hindi sher,chunav,politics,political vyangya,hindi blogs,hindi kavita blog
No comments:
Post a Comment